Corona wave भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा है कि जिस तरह से संक्रमण फैला हुआ है, उसे देखते हुए कोरोना की तीसरी आना तय है.
कोरोना महामारी की पहली लहर(Corona-wave) में जहां सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग संक्रमित हुए। वहीं दूसरी लहर में कोरोना वायरस के निशाने पर युवा आबादी रही। अब विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि अगर देश में तीसरी लहर आई तो यह बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसा दुनिया के दूसरे देशों में भी हुआ है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Corona-wave)सितंबर तक आ सकती है। बाल चिकित्सा और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार को जल्द से जल्द बच्चों के टीकाकरण के कार्यक्रम को शुरू करना चाहिए नहीं तो कोरोना की तीसरी लहर में 18 से कम उम्र वाले बच्चों बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन शिंदे कहते हैं कि बच्चों का टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है। अन्यथा कोरोना की तीसरी लहर(Corona-wave) टीका नहीं लगवा पाए इन बच्चों को अपने चपेट में ले लेगी। देश में 18 से 44 वर्ष के बीच के नागरिकों के लिए टीकाकरण शुरू हो चुका है। इस आयु-वर्ग से ऊपर के कई लोगों को पहले से ही वैक्सीन की सुरक्षा कवच मिल चुकी है। इसलिए अब वायरस उन लोगों को लक्षित करेगा जिनके पास यह सुरक्षा नहीं है।
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लोगों को संक्रमित करने का नया तरीका ढूंढेगा वायरस, ऐहतियात ही सबसे बड़ा बचाव
राघवन ने कहा कि जब वैक्सीनेशन बढ़ेगा तो वायरस लोगों को संक्रमित करने के नए तरीके ढूंढेगा, जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अपना रूप बदलता रहता है। इसलिए हमें वैक्सीन और दूसरे पहलुओं पर रणनीति बदलती रहनी होगी। दुनिया भर में साइंटिस्ट देख रहे हैं कि वायरस किस किस तरह बदल सकता है और उसी हिसाब से उसे रोकने की तैयारियों पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि वायरस को कोई भी वेरियंट हो वह एक ही तरीके से फैलता है ह्यूमन टू ह्यूमन। इसलिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना को रोकने के लिए जो भी बिहेवियर करना है उसका पालन करते रहना होगा।